णमोकार मंत्र(नवकार) अर्थ के साथ (पूरी जानकारी)


नमस्कार महामन्त्र

णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्वसाहूणं

एसो पंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो ।
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवई मंगलं ।।

नमस्कार महामंत्र जैन परम्परा का एक प्रभावक एवम् चमत्कारी मंत्र है। इस मंत्र की साधना से साधक के सभी मनोरथ पूर्ण होते है। नमस्कार मंत्र जैन धर्म का सर्वाधिक महत्वपूर्ण मंत्र है। इसे 'नवकार मन्त्र', 'णमोकार मंत्र' या 'पंच परमेष्ठि नमस्कार' भी कहा जाता है।

नमस्कार महामंत्र जैन धर्म का सबसे प्राचीन मंत्र है। इस मंत्र को सभी जैन मानते है। इस महामंत्र में किसी व्यक्ति विशेष को नहीं , बल्कि 5 महान आत्माओ को नमस्कार किया गया है।





नमस्कार महामन्त्र अर्थ के साथ


णमो अरिहंताणं
(अरहन्तो को मेरा नमस्कार हो)
जो आत्मा राग- द्वेष रूपी कर्म-शत्रुओ का नाश कर केवल ज्ञान प्राप्त कर लेती है उन्हें अरहंत कहते है।

णमो सिद्धाणं
(सिद्ध को मेरा नमस्कार हो)
जो अष्ट कर्मो को सर्वथा क्षय करके निज-आत्मरूप में अवस्थित हो गए हैं, जन्म-मरण की श्रृंखला को तोड़कर सिद्धि, मोक्ष, निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं, वे सिद्ध कहलाते है ।

णमो आयरियाणं
(धर्माचार्यो को मेरा नमस्कार हो)
ज्ञान, दर्शन, चरित्र, तप, और वीर्य इन पांच प्रकार के आचारों का ,जो स्वयं विशेष जागरूकता से पालन करते हैं और अपने शिष्यों से पालन करवाते हैं, वे आचार्य कहलाते हैं।

णमो उवज्झायाणं
(उपाध्याओ को मेरा नमस्कार हो)
णमो उवज्झायाणं विशेषतः धर्म शास्त्रो के अध्ययन-अध्यापन कार्य को सम्पादित करने वाले उपाध्याय कहलाते हैं

णमो लोए सव्वसाहूणं
(लोक के सभी साधु साध्वियो को मेरा नमस्कार हो)
जो मुनि पंच महाव्रत पालक, अठारह सहस्त्र गुण धारक, तथा पमोपकारक हैं- वे मुनि साधु कहलाते हैं।

एसो पंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो ।
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवई मंगलं ।।
यह नमस्कार महामंत्र सब पापो का नाश करने वाला और सब मंगलो में प्रथम मंगल है।




महामंत्र का जप उठते व सोते समय कम से कम पांच बार अवश्य करना चाहिए, इसका जाप बहुत लाभकारी होता है। 

प्रश्न: णमोकार मंत्र के पद और अक्षर कितने हैं ?

इस महामंत्र में पांच पद और पैंतीस अक्षर हैं। पहले पद में सात, दूसरे पद में पांच, तीसरे पद में सात, चौथे पद में सात और पांचवें पद में नौ अक्षर हैं। अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु, ये पांचों पंच-परमेष्ठी कहलाते हैं।

Navkar Mantra
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