जैन धर्म में तीर्थंकर परम्परा : नाम और चिह्न के साथ
तीर्थंकर का अर्थ है-तीर्थ की स्थापना करने वाला । साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका रूप चतुर्विध धर्मसंघ को तीर्थ कहा जाता है। उसकी स्थापना करने वाले तीर्थंकर कहलाते हैं।
अनादि काल से चले आ रहे जैन धर्म का प्रवर्तन इस युग में भगवान् ऋषभदेव ने किया। वे प्रथम तीर्थंकर थे। उनके पश्चात् अजितनाथ आदि तेईस तीर्थंकर हुए। भगवान् महावीर इस युग के अंतिम तीर्थंकर थे। तीर्थंकरों के नाम इस प्रकार हैं :
प्रश्न : तीर्थंकर किसे कहते हैं ?
तीर्थंकर का अर्थ है-तीर्थ की स्थापना करने वाला । साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका रूप चतुर्विध धर्मसंघ को तीर्थ कहा जाता है। उसकी स्थापना करने वाले तीर्थंकर कहलाते हैं।
प्रश्न : तीर्थंकर को अन्य किन नामों से पुकारा जाता है।
तीर्थंकर को भगवान्, जिन, अर्हत, देवाधिदेव भी कहा जाता है।
अनादि काल से चले आ रहे जैन धर्म का प्रवर्तन इस युग में भगवान् ऋषभदेव ने किया। वे प्रथम तीर्थंकर थे। उनके पश्चात् अजितनाथ आदि तेईस तीर्थंकर हुए। भगवान् महावीर इस युग के अंतिम तीर्थंकर थे। तीर्थंकरों के नाम इस प्रकार हैं :
24 तीर्थंकरो के नाम
- भगवान् ऋषभदेव
- भगवान् अजितनाथ
- भगवान् सम्भवनाथ
- भगवान् अभिनन्दन
- भगवान् सुमतिनाथ
- भगवान् पद्मप्रभ
- भगवान् सुपार्श्वनाथ
- भगवान् चंदप्रभ
- भगवान् सुविधिनाथ
- भगवान् शीतलनाथ
- भगवान् श्रेयांसनाथ
- भगवान् वासुपूज्य
- भगवान् विमलनाथ
- भगवान् अनन्तनाथ
- भगवान् धर्मनाथ
- भगवान् शान्तिनाथ
- भगवान् कुंथुनाथ
- भगवान् अरनाथ
- भगवान् मल्लिनाथ
- भगवान् मुनि सुव्रत
- भगवान् नमिनाथ
- भगवान् अरिष्टनेमि
- भगवान् पार्श्वनाथ
- भगवान् महावीर
प्रश्न : तीर्थंकर किसे कहते हैं ?
तीर्थंकर का अर्थ है-तीर्थ की स्थापना करने वाला । साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका रूप चतुर्विध धर्मसंघ को तीर्थ कहा जाता है। उसकी स्थापना करने वाले तीर्थंकर कहलाते हैं।
प्रश्न : तीर्थंकर को अन्य किन नामों से पुकारा जाता है।
तीर्थंकर को भगवान्, जिन, अर्हत, देवाधिदेव भी कहा जाता है।
तीर्थंकर का संक्षेप वर्णन
क्रम सं | तीर्थंकार | जन्म नगरी | माता का नाम | पिता का नाम | चिह्न |
---|---|---|---|---|---|
1 | ऋषभदेव जी | अयोध्या | मरूदेवी | नाभिराजा | बैल |
2 | अजितनाथ जी | अयोध्या | विजया | जितशत्रु | हाथी |
3 | सम्भवनाथ जी | श्रावस्ती | सेना | जितारी | घोड़ा |
4 | अभिनन्दन जी | अयोध्या | सिद्धार्था | संवर | बन्दर |
5 | सुमतिनाथ जी | अयोध्या | सुमंगला | मेधप्रय | चकवा |
6 | पद्मप्रभ | कौशाम्बीपुरी | सुसीमा | धरण | कमल |
7 | सुपार्श्वनाथ जी | काशीनगरी | पृथ्वी | सुप्रतिष्ठ | साथिया |
8 | चन्द्रप्रभु जी | चंद्रपुरी | लक्ष्मण | महासेन | चन्द्रमा |
9 | सुविधिनाथ | काकन्दी | रामा | सुग्रीव | मगर |
10 | शीतलनाथ जी | भद्रिकापुरी | सुनन्दा | दृढ़रथ | कल्पवृक्ष |
11 | श्रेयांसनाथ | सिंहपुरी | विष्णु | विष्णुराज | गेंडा |
12 | वासुपुज्य जी | चम्पापुरी | जपा | वासुपुज्य | भैंसा |
13 | विमलनाथ जी | काम्पिल्य | शमी | कृतवर्मा | शूकर |
14 | अनन्तनाथ जी | विनीता | सूर्वशया | सिंहसेन | सेही |
15 | धर्मनाथ जी | रत्नपुरी | सुव्रता | भानुराजा | वज्रदण्ड |
16 | शांतिनाथ जी | हस्तिनापुर | ऐराणी | विश्वसेन | हिरण |
17 | कुन्थुनाथ जी | हस्तिनापुर | श्रीदेवी | सूर्य | बकरा |
18 | अरहनाथ जी | हस्तिनापुर | मिया | सुदर्शन | मछली |
19 | मल्लिनाथ जी | मिथिला | रक्षिता | कुम्प | कलश |
20 | मुनिसुव्रतनाथ जी | कुशाक्रनगर | पद्मावती | सुमित्र | कछुआ |
21 | नमिनाथ जी | मिथिला | वप्रा | विजय | नीलकमल |
22 | नेमिनाथ जी | शोरिपुर | शिवा | समुद्रविजय | शंख |
23 | पार्श्र्वनाथ जी | वाराणसी | वामादेवी | अश्वसेन | सर्प |
24 | महावीर जी | कुंडलपुर | त्रिशाला | सिद्धार्थ | सिंह |
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